जय श्री कृष्ण…….
मित्रों विल्व वृक्ष बहुत पवित्र वृक्ष होता है। विल्व वृक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई, इस के बारे में जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।
स्कंद पुराण में यह वर्णन किया गया है कि एक बार मां पार्वती अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंकी, जिसके कुछ बुंदे मदार पर्वत पर गिरी, जिससे विल्व वृक्ष की उत्पत्ति हुई।
विल्व वृक्ष के जड़ो में गिरीजा, तल मे महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पतियों में पार्वती, फुलों में गौरी तथा फलों में कात्यायनी वास करती है।
पूजन में विल्व पत्र अर्पण करने से महादेव एवं मां पार्वती प्रसन्न होती है। भगवान भोलेनाथ श्री राम को अपना इष्ट मानते हैं, इसलिए विल्व पत्र पर राम नाम अंकित कर शिव लिंग पर अर्पण करना चाहिए।
विल्व पत्र अर्पण करते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए –
मंत्र:-त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्म पाप संघारं विल्व पत्रं शिवार्पणम् ।।
अर्थात, तीन गुण तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप संघार करने वाले, से शिव जी आपको त्रिदल विल्व पत्र अर्पित करता हूं।